दिनांक: 21 अगस्त 2022
-: प्रेस विज्ञप्ति: -
जनजातीय आयोग अध्यक्ष हर्ष चौहान से मिला अभाविप का प्रतिनिधि मंडल
जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षक रिक्तियां जल्द से जल्द भरी जाएं: अभाविप
मतांतरित व्यक्तियों को जनजाति आरक्षण से बाहर रखा जाए
जनजातीय आयोग के अध्यक्ष श्री हर्ष चौहान से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी के नेतृत्व में भेंट कर विभिन्न जनजातीय विषयों पर अपनी मांगें और सुझाव दिए एवं ज्ञापन सौंपा। परिषद ने मांग रखी कि जनजातीय क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों एवं उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों के रिक्त पद अविलंब भरे जाने चाहिए। इसी प्रकार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भी दिसम्बर 2021 में जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित 1154 पदों में से 590 पद रिक्त थे जबकि जुलाई 2022 नें 590 रिक्त पदों में मात्र 14 पदों पर नियुक्ति की गई है। आज भी 576 पद रिक्त हैं, रिक्त पदों को भरने की इस गति को निश्चित समयावधि में पूर्ण किया जाना चाहिए। जनजातीय छात्रों के लिए आईआईटी में प्रवेश लेने हेतु तैयारी की व्यवस्था भी करनी चाहिए।
जनजातीय छात्रों को मिलने वाली पोस्ट डॉक्टोरल शोधवृत्ति 2021 में बंद हो गई थी उसे पुनः शुरू करना चाहिए। महंगाई दर के अनुरूप प्रत्येक पांच वर्ष में शोधवृत्ति की राशि में बढ़ोत्तरी करने की भी मांग परिषद ने रखी। आज भी न्यूनतम सकल नामांकन अनुपात (GER) वाला समूह जनजातीय कन्याओं का है। अतः जनजाति छात्राओं में साक्षरता दर बढ़ाने हेतु किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की जानी चाहिए एवं छात्रावासों के संदर्भ में बनाई गई योजनाओं का सर्वे किया जाना चाहिए। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए खेल प्रोत्साहन हेतु विशेष प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन स्थानीय एवं राष्टीय स्तर पर किए जाने की मांग परिषद द्वारा की गई। परिषद ने आग्रह किया कि जनजातीय परंपरागत कौशल को कौशल विकास केन्द्र के द्वारा प्रमाणीकरण किया जाना चाहिए ताकि उन्हें आर्थिक सहायता प्राप्त हो सके।
परिषद का मत है कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण हेतु जनजातीय समाज को आरक्षण दिया था, परंतु आज जनजातीय समाज के ऐसे लोग जिन्होंने मतांतरण कर दूसरा मत अपना लिया है, उन्हें आरक्षण की सूची से बाहर करने की प्रक्रिया आरंभ की जानी चाहिए।
जनजातियों में परंपरागत औषधीय ज्ञान अत्यंत ही अद्वितीय है एवं भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति की अमूल्य धरोहर है। अतः परिषद ने यह भी सुझाव दिया कि परंपरागत जनजातीय औषधीय ज्ञान के संरक्षण के लिए आयुर्वेदिक शोध द्वारा विशेष शोध परियोजनाएं जारी की जाए तथा उनकी वैधता तय की जाए एवं उनका पेटेंटिंग जनजाति के नाम से किया जाए
परिषद की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि, "भारत के विकास में देश की सुदूर जनजातियों का विकास भी निहित है। यह जनजातियों ने आज भी भारत की प्राचीन परंपरागत कला, विज्ञान और सांस्कृतिक ज्ञान को सहेज कर रखा है जो कि अत्यंत ही दुर्लभ है। जनजातीय अपने इस ज्ञान का प्रयोग कर अपने शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक विकास कर प्रगति की दिशा में आगे बढ़ेंगे और देश का नाम भी रोशन करेंगे"।
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(यह प्रेस विज्ञप्ति केंद्रीय कार्यालय मंत्री दिगंबर पवार द्वारा जारी की गई है।)