दिनांक: 19 मार्च 2022
-: प्रेस विज्ञप्ति :-
डॉ. सुब्बैया शनमुगम की ग़ैरक़ानूनी हिरासत द्रमुक सरकार द्वारा प्रतिशोध की भावना से प्रेरित होकर की गई कार्रवाई है
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हाउसिंग सोसाइटी में कार पार्किंग के मुद्दे की एक पुरानी शिकायत पर, जिसे दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से वापस ले लिया था, तमिलनाडु पुलिस द्वारा एबीवीपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुब्बैया शनमुगम की प्रतिशोधी अवैध हिरासत का कड़ा विरोध करती है।
लगभग 2 साल पूर्व डॉ सुब्बैया पर एक मामला दर्ज किया गया था, लेकिन शिकायतकर्ता महिला द्वारा बाद में समझौता कर लिया गया था क्योंकि एक गलतफ़हमी के कारण मामला दर्ज हुआ था। जब डॉ सुब्बैया शनमुगम ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के घर के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए जेल में डाले गए अभाविप के कार्यकर्ताओं एवं राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी से जेल में मुलाकात की, तब से तमिलनाडु सरकार द्वारा उनके विरुद्ध प्रतिशोधात्मक कार्रवाई की एक श्रृंखला चलाई जा रही है। द्रमुक सरकार ने पहले डॉ सुब्बैया को चेन्नई के किलपौक मेडिकल कॉलेज में ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख के पद से हटा दिया और अब सरकार ने एक पुरानी शिकायत को पुनः जागृत कर कार्रवाई की है, जिसमें पहले ही दोनों पक्षों द्वारा समझौता किया जा चुका है।
तमिलनाडु सरकार डॉ सुब्बैया शनमुगम की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। अभाविप देश के संविधान और कानून में दृढ़ विश्वास रखती है और डीएमके सरकार के कृत्य की कड़ी निंदा करती है।
अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि, “द्रमुक सरकार लावण्या के लिए न्याय की लड़ाई को कमजोर करने के लिए अब निम्न स्तर के कृत्य करने पर उतर आई है। पहले हमारे 32 सदस्यों को 8 दिनों के लिए गलत तरीके से हिरासत में लिया गया था और अब वे जेल में छात्रों से मिलने के लिए डॉ सुब्बैया से बदला लेने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह की कार्रवाई लावण्या के लिए लड़ने की हमारी प्रतिबद्धता को नहीं रोक पाएगी और शिक्षण संस्थानों में जबरन मतांतरण के विरूद्ध हमारी लड़ाई मजबूत भावना के साथ जारी रहेगी।"
अभाविप के राष्ट्रीय मंत्री मुथु रामलिंगम ने कहा, "द्रमुक सरकार की प्रतिशोधात्मक कार्रवाई पूरी तरह से शर्मनाक है। सही पक्ष का साथ देने वाले व्यक्ति का दमन करने के लिए सरकार अपनी सारी मशीनरी का प्रयोग कर रही है। मामले में पहले ही समझौता कर लिया गया था और शिकायतकर्ता या न्यायालय द्वारा किसी अन्य कार्रवाई की मांग नहीं की गई है। डीएमके सरकार का यह रवैया निंदनीय है।"
(यह प्रेस विज्ञप्ति केंद्रीय कार्यालय मंत्री सुमित पाण्डेय द्वारा जारी की गई है।)
