वीरों के शौर्य की अमर गाथा

Image
kargil victory

 

सालों से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तनाव के बीच जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश में, शांति की पहल करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की शांति और सद्भाव की बस में सतीश गुजराल, जावेद अख्तर, देवानंद, कपिल देव जैसे गणमान्य भारतीयों को शांतिदूतों के रूप में एक साथ जब नई दिल्ली से लाहौर पहुंचे थे तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि बाघा बॉर्डर पर गार्ड ऑफ ऑनर के साथ बड़ी धूमधाम से गले लगा कर उनका स्वागत करने वाली पाक की नापाक सरकार कुछ ही दिनों बाद इस शांति का संदेश देती लाहौर यात्रा की पहल के बदले में भयानक कारगिल युद्ध भारत राष्ट्र को तोहफे में देने वाली है। गौरतलब है कि सन् 1998 के भारत के ऑपरेशन शक्ति मिशन के तहत परमाणु परीक्षणों के जवाब में पाकिस्तान का चंगाई परमाणु परीक्षण से दक्षिण एशिया में परमाणु होड़ का माहौल उत्पन्न हो गया था और इसी तनावपूर्ण विपक्षी संबंधों को शांति पूर्ण रुप से हल करने के लिए एवं आपसी सैन्य तनाव को कम करने के साथ ही कश्मीर के मुद्दे को शांति से सुलझाने के लिए ऐतिहासिक रूप से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ की अगुवाई में भारत-पाकिस्तान के लाहौर घोषणा पत्र समझौते की अमेरिका समेत पूरे विश्व ने भूरी-भूरी प्रशंसा की थी। परंतु इस समझौते के कुछ ही दिनों पश्चात हमेशा की तरह विश्वास और शांति समझौते को ताक पर रखते हुए एक बार फिर पाक ने दोनों देशों के अमन-चैन को खतरे में डाल दिया था। भारी संख्या में पाक समर्थित मुजाहिद्दीन घुसपैठियों के रूप में पाकिस्तानी सेना ने कारगिल में घुसपैठ की, अनिधिकृत सूचना से भारतीय सेना को पाक के भारत विरोधी नापाक इरादों को भांपते हुए जरा भी देर नहीं लगी और जल्द ही आतंकवादियों के नाम पर पाकिस्तानी सेना के भागीदारी के प्रत्यक्ष प्रमाण भी शीघ्र मिलने लगे। कहते हुए शुरुआती स्थिति बहुत ही विकट और असहाय सी थी क्योंकि कारगिल की 18000 फुट से भी अधिक ऊंचाई की पहाड़ियों में बैठे हुए दुश्मन का इतनी बड़ी संख्या में बोफोर्स के साथ सामना करना भी भारतीय सेना के लिए विकट चुनौती बना हुआ था क्योंकि पाकिस्तानी सेना पहाड़ियों के ऊपर स्थित मजबूत प्राकृतिक बंकरों में छिपी तो बैठी हुई थी ही, अपितु चारों ओर की निगरानी भी कर रही थी। जिसके कारण वह भारतीय सेना की हर हरकत की जानकारी रख रही थी। इन बंकरों की सुरक्षा दीवार इतनी मजबूत थी कि भारतीय सेना किसी भी तरह से नीचे से इन्हें तोड़ नहीं पा रही थी। दूसरा, भारतीय वायु सेना के पास उस समय कोई ऐसा मारक बम नहीं था, जो दूर से पाकिस्तानी सेना के इन बंकरों पर एकदम सटीकता से निशाना लगा सके परंतु फिर भी सही समय पर भारतीय वायु सेना के हस्तक्षेप ने बाजी को पलट दिया। वायु सेना ने भारतीय सेना की मदद के लिए ऑपरेशन सफेद सागर को शुरू किया जिसकी कारगिल विजय में अहम भूमिका रही। हिंदुस्तानी हितों की रक्षा हेतु हमेशा भारत के साथ खड़े रहने वाले दुनिया के सबसे बहादुर देश इजरायल ने तब भारतीय वायु सेना को लेजर गाइ़डेड बम मुहैया करवाए, जिन्होंने मिराज 2000 लड़ाकू विमानों की सहयता से पाकिस्तानी बंकरों को बर्बाद कर दिया और देखते ही देखते युद्ध के समीकरण ही बदल डाले। 85 दिनों से भी अधिक चलने वाले इस सशस्त्र संघर्ष में भारतीय सेना ने ऊंचाई वाले घनघोर ठंड के कारगिल और द्रास के इलाके में वीरता से लड़ते हुए, न केवल घुसपैठियों को खदेड़ा बल्कि पाकिस्तानी कब्जे वाली चौकियों को फिर से अपने नियंत्रण में ले लिया। आधिकारिक रूप से दोनों देशों की सेनाओं में दो महीने तक डटकर आमना सामना हुआ। इस युद्ध में भारतीय वायु सेना के मिग 21 मिग 27 जैसे घातक विमानों ने न केवल दुश्मन पर आक्रामक होकर बमबारी और मिसाइलों दागी अपितु कहा जाता है कि युद्धक विमानों की घातक व दुर्जन आवाज़ ने मनोवैज्ञानिक रूप से भी दुश्मन को काफी कमज़ोर किया। और अंततः 26 जुलाई 1999 को आधिकारिक रूप से भारतीय सेना ने विजय की घोषणा कर दी । जिसे शहीद सैनिकों के सम्मान, पराक्रम और उच्चतम बलिदान को स्मरण रखते हुए, हर वर्ष विजय दिवस के रूप में नया जाता है । गौरतलब है कि भारत-पाकिस्तान के सुधरते हालात कुछ आतंकवादी संगठनों के साथ- साथ अलगाववादियों को भी रास नहीं आ रहे थे। जिसके चलते तत्कालीन पाकिस्तानी सेना के जनरल ने अपनी पाक सरकार की सहमति के बिना ही ऑपरेशन बद्र नामक अभियान में मुजाहिद्दीनों के नाम पर कुछ कटरपंथी इस्लामिक संगठनों के साथ मिलकर ऐसी कूटनीतिक योजना बनाई जिसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। कहा जाता है कि मुशर्रफ ने यह घुसपैठ इतने गुपचुप तरीके से करवाई थी कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री तक को इसकी खबर नहीं थी। इस कुकृत्य की जानकारी मिलते ही, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अभिनेता महरूम दिलीप कुमार साहब के साथ वादा परस्ती का ताना देते हुए नवाज़ शरीफ़ को फ़ोन पर लताड़ा कि एक तरफ़ आप लाहौर में मुझसे गले मिल रहे थे, दूसरी तरफ़ कारगिल की पहाड़ियों पर क़ब्ज़ा कर रहे थे, तो जवाब मिला था कि उन्हें इस बात की बिल्कुल भी जानकारी नहीं है और वे मुशर्रफ़ से बात कर वापस फ़ोन मिलाएंगे। दुर्भाग्यवश पाकितान का इतिहास में हमेशा ही सेना का पलड़ा लोकतान्त्रिक सरकार से भारी रहा है। इसी कारणवश, तत्कालीन पाकिस्तान सरकार को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। पाकिस्तानी जनरल ने चुनी हुई सरकार की औपचारिक इजाज़त के बिना ही इसे अंज़ाम दे दिया था। कहते हैं कि विकट और जरूरत की परिस्थितियों में ही मित्र शत्रु का पता चलता है और और इसी को साबित करते हुए हमेशा की तरह ही, रूस ने ऐसी विकट और विपरीत परिस्थितियों में हमेशा की तरह ही भारत की हरसंभव मदद की। इसी तरह इजराइल ने भी प्रत्यक्ष सहायता करके अपनी मित्रता का सबूत देकर उसे परिपक्व करने की कोशिश की। जबकि उस समय में पाकिस्तान के मित्र समझे जाने वाले अमेरिका और चीन ने पाकिस्तान से मुंह फेर लिया। गौरतलब है कि जब नवाज शरीफ अमेरिका से मदद मांगने पहुंचे तो क्लिंटन का दो टूक जवाब था कि पाकिस्तान को हर हाल में सेना को हटाना पड़ेगा क्योंकि फ़ोन पर अटल बिहारी वाजपेयी के पकिस्तान को दुनिया के नक़्शे से हटाने की कड़ी चेतावनी से क्लिंटन को दक्षिणी एशिया में परमाणु युद्ध के खतरे का अंदेशा था और इसी डर से अमेरिका और चीन ने भी पाक से किनारा कर लिया था।

गौरतलब है कि भारत से नफरत की राजनीति पर अपनी सत्ता चलाने वाले पाकिस्तान के कठपुतली शासकों की यही त्रासदी रही है कि वे ना चाहते हुए भी सत्ता सुख साधने हेतु चुनिंदा मुजाहिद्दीन, इस्लामिक कट्टरपंथियों, अलगाववादियों के इशारों पर खूनी खेल खेलने के लिए मजबूर होते रहे हैं और पाकिस्तानी जनता को कश्मीरी बीन पर नचाकर भी सत्ता का मज़ा लेते रहे हैं परंतु इससे दोनों ही देशों को बड़ी आर्थिक, मानवीय हानि होती रही है। ऐसी ही कुटिल राजनीतिक लालसा का परिणाम था कारगिल युद्ध और जिसका परिणाम बाद में पूरी दुनिया ने देखा कि किस प्रकार कुटिल लालसा के चलते परवेज मुशर्रफ सत्ता पलट कर शासक बन गए। आधिकारिक आंकड़ों की माने तो इस युद्ध में पाकिस्तान के तीन हज़ार से भी अधिक सैनिक शहीद हुए वहीं भारत की कुर्बानी का आंकड़ा लगभग पांच सौ तक पहुंचा।

ऐतिहासिक पन्नों पर दर्ज है कि भारत विश्व में एक ऐसा देश है जिसने कभी भी दूसरे देश की सीमा का अपमान नहीं किया परंतु जब भी अपनी देश की आत्मरक्षा की बात आई तो डटकर उसका मुकाबला किया। यही है हमारी भारतीय सेना के वीरों की शौर्य गाथा जो हमेशा ही अनंतकाल तक हिंदुस्तान की भावी पीढ़ियों को देश प्रेम की प्रेरणा देती रहेगी।

जय हिंद।।

(यह लेख डॉ. तुलसी भारद्वाज, लेखक और शिक्षाविद्, एंडेवर फेलो (ऑस्ट्रेलिया) द्वारा 23वीं कारगिल विजय दिवस वर्षगांठ, जुलाई 2022 के अवसर पर लिखा गया है।)

Comments

Submitted by cricwin on Sat, 07/30/2022 - 23:43

Permalink

सर आपके इस पोस्ट में बहुत जानकारी मिली<a href=" https://boardsexam.com/">.</a> आप ऐसे ही लोगों की लगातार मदद करते रहिए सर.

Submitted by cricwin on Sat, 07/30/2022 - 23:43

Permalink

सर आपके इस पोस्ट में बहुत जानकारी मिली<a href="https://physicshindi.com/">.</a> आप ऐसे ही लोगों की लगातार मदद करते रहिए सर.

Submitted by tyagianuj77 on Sun, 07/31/2022 - 11:33

Permalink

बहुत ही सुन्दर और स्पष्ट आलेख प्रकाशित हुआ है और इसके माध्यम से विभिन्न जानकारी मिली। लेखिका डॉ तुलसी भारद्वाज जी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। आपके दैनिक जागरण, हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित संपादकीय भी बहुत ही स्पष्ट और आम जन के लिए ज्ञान वर्धक होते हैं। प्रभु श्रीराम आपको यशस्वी करें।

Submitted by heloattherated… on Fri, 08/19/2022 - 13:46

Permalink

गौरतलब है कि भारत से नफरत की राजनीति पर अपनी सत्ता चलाने वाले पाकिस्तान के कठपुतली शासकों की यही त्रासदी रही है कि वे ना चाहते हुए भी सत्ता सुख साधने हेतु चुनिंदा मुजाहिद्दीन, इस्लामिक कट्टरपंथियों, अलगाववादियों के इशारों पर खूनी खेल खेलने के लिए मजबूर होते रहे हैं और पाकिस्तानी जनता को कश्मीरी बीन पर नचाकर भी सत्ता का मज़ा लेते रहे हैं परंतु इससे दोनों ही देशों को बड़ी आर्थिक, मानवीय हानि होती रही है। ऐसी ही कुटिल राजनीतिक लालसा का परिणाम था कारगिल युद्ध और जिसका परिणाम बाद में पूरी दुनिया ने देखा कि किस प्रकार कुटिल लालसा के चलते परवेज मुशर्रफ सत्ता पलट कर शासक बन गए। आधिकारिक आंकड़ों की माने तो इस युद्ध में पाकिस्तान के तीन हज़ार से भी अधिक सैनिक शहीद हुए वहीं भारत की कुर्बानी का आंकड़ा लगभग पांच सौ तक पहुंचा।

ऐतिहासिक पन्नों पर दर्ज है कि भारत विश्व में एक ऐसा देश है जिसने कभी भी दूसरे देश की सीमा का अपमान नहीं किया परंतु जब भी अपनी देश की आत्मरक्षा की बात आई तो डटकर उसका मुकाबला किया। यही है हमारी भारतीय सेना के वीरों की शौर्य गाथा जो हमेशा ही अनंतकाल तक हिंदुस्तान की भावी पीढ़ियों को देश प्रेम की प्रेरणा देती रहेगी।

जय हिंद।

https://www.narakasmuzaffarpur.co.in/

Submitted by sauravnegi50 on Wed, 02/22/2023 - 15:28

Permalink

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत का संघर्ष एक लंबा और कठिन था, और इसमें कई स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयास शामिल थे जिन्होंने अपना जीवन इस उद्देश्य के लिए समर्पित कर दिया। 

For more knowledge about freedom fighters and India History, visit https://edukar.in

Submitted by adisinghnew on Sun, 03/12/2023 - 09:32

Permalink

है दिल कचोट से भरा हुआ
जो जख्म है फिर से हरा हुआ
कब तक यूँ लड़ेगे खुद में ही
क्यों घर में दुश्मन खड़ा हुआ

वीरों को हम यूँ क्यों खोएं
कुछ रियासती फर्जी रोएँ
अब हल निकले कोहराम मचे
जड़ से हो खतम जो जहर बोए

मेरा सीना दर्द से तब जकड़े
कोई सैनिक का कॉलर पकड़े
ईमान धर्म कुछ बाकी नहीं
क्यों नहीं आपदा में अकड़े

सरकार से अब है गुजारिश ये
हो रही खूनों की जो बारिश ये
अब हल निकले कोहराम मचे
जड़ से खत्म अब शोरिश ये

उम्मीद के दामन धोता हूँ
जब मई मायूसी में खोता हूँ
मैं अर्चित नमन करू उनको
जिनकी निगरानी में सोता हूँ.

 

https://studyvillage.net/

Submitted by jaihindemirtac… on Sat, 04/08/2023 - 11:40

Permalink

 ” अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करो और अपने पूरे शरीर को उस एक लक्ष्य से भर दो । और हर दुसरे विचार को अपनी ज़िन्दगी से निकाल दो यही सफ़लता की कुंजी है । “

https://sarkariresultraj.in/

Submitted by freejobalert on Mon, 04/24/2023 - 08:55

Permalink

यह लेख वास्तव में बहुत ही शानदार है सर,,,

कृपया इसे लेख अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इस वेबसाइट पर नियमित रुप से डालते रहें।

धन्यवाद..!

https://dailyfreejobalert.in/

Submitted by kk184897 on Fri, 04/28/2023 - 09:41

Permalink

हिंदी में नैतिक कहानियां

लोमड़ी और खरगोश – The Fox and The Rabbit

बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में एक खरगोश एक लोमड़ी को घुर रहा था लोमड़ी ने खरगोश से कहा की मुझे क्यों घुर रहे हो क्या तुम्हे अपने जीवन से प्यार नहीं है ।

इस पर खरगोश ने लोमड़ी से कहा की में देख रहा हु की क्या वास्तव में लोमड़ी चालाक होती है और चालाकी का मतलब क्या होता है । तो लोमड़ी ने खरगोश से कहा की तुम वाकई हिम्मत वाले हो इसलिए में तुम्हे नहीं मारूंगी ।

लोमड़ी ने खरगोश से कहा की आज से हम दोनों दोस्त है आज शाम को क्यों ना हम साथ मिलकर मेरे घर पर भोजन करे और उसी वक़्त इस विषय पर भी चर्चा करेंगे । इस पर खरगोश तेयार हो गया ।

शाम को खरगोश लोमड़ी के घर गया तो उसने देखा की खाने की टेबल पर कटोरी और प्लेट खाली पड़े है और भोजन कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है ।

यह देख कर खरगोश के दिमाग में आया की लोमड़ी ने अपनी चालाकी दिखाने की लिए ही उसे अपने घर खाने के लिए बुलाया है और लोमड़ी मुझे ही आज के भोजन के रूप में खाना चाहती है ।

लोमड़ी बाहर आती उससे पहले ही खरगोश ने मोका देखकर भागने की सोची और जल्दी से लोमड़ी के घर से भाग गया । खरगोश अब चालाकी का मतलब समझ चूका था ।

Moral Stories in Hindi for Class 1 | नैतिक कहानियाँ कक्षा 1 हिंदी में

Submitted by techgadget360 on Wed, 08/30/2023 - 00:17

Permalink

https://thehindiinsider.com/best-independence-day-quotes-in-hindi-messa…

Indian Independence Day is a momentous occasion that stirs the hearts of every Indian citizen, invoking a deep sense of patriotism and unity. On this day, we commemorate the hard-fought struggle for freedom, led by visionary leaders who dared to dream of a sovereign nation. The tricolor flag waving proudly in the wind symbolizes the sacrifices made by countless individuals who selflessly dedicated themselves to the cause of liberation. As we gather to celebrate this historic day, we remember the unwavering determination and courage that paved the way for our nation's independence. It's a time to reflect on our progress, appreciate the diversity that defines us, and renew our commitment to uphold the values of freedom, equality, and unity that our forefathers envisioned.

Submitted by ajeetstyle83 on Tue, 10/31/2023 - 16:12

Permalink

Army Air Defence College Recruitment आर्मी एयर डिफेंस कॉलेज ने आधिकारिक तौर पर 2023 में फायरमैन के लिए भर्ती की घोषणा की है। फायरमैन के लिए कुल 15 पद रिक्त हैं। आर्मी एयर डिफेंस कॉलेज भर्ती 2023 के लिए आवेदन प्रक्रिया 28 अक्टूबर, 2023 को शुरू होगी और 11 दिसंबर, 2023 तक जारी रहेगी। उम्मीदवारों को अधिसूचना की तारीख से 45 दिनों के भीतर अपना आवेदन जमा करना होगा। Army Air Defence College Recruitment 2023 के बारे में विस्तृत जानकारी आधिकारिक अधिसूचना से प्राप्त की जा सकती है।

https://www.raj-results.com/army-air-defence-college-recruitment-2023/