लोकतंत्र का राष्ट्रीय पर्व

 

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भारतवर्ष इस समय अपना सबसे बड़ा राष्ट्रीय पर्व मना रहा है। यह पर्व है चुनावों का, लोकतंत्र के सशक्तिकरण का एवं संविधान की मान्यताओं के सम्मान का। लोकतंत्र में हर चुनाव और उसमें जनता की भागीदारी अहम भूमिका निभाती है क्योंकि यही वह माध्यम है, जिससे वह देश के वर्तमान एवं भविष्य को साकार कर एक नई दिशा एवं दशा दे सकती है। पर इस बार का चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक है और यही तय करेगा कि भारत की प्रगति और विकास का पहिया किस ओर घूमेगा। इस चुनाव में एक तरफ राष्ट्रवाद है तो एक तरफ परिवारवाद। एक तरफ नेशन फर्स्ट है तो दूसरी तरफ फैमिली फर्स्ट। एक तरफ हिंदुत्व के रास्ते पर चलकर प्रत्येक भारतवासी को बिना किसी भेदभाव के भारतीय होने के नाते बराबर अधिकार देने वाला दल है तो दूसरी तरफ धर्म के आधार पर देश को बाँटकर तुष्टिकरण के माध्यम से अपना वोट बैंक सुरक्षित करने वाले दल। एक दल जो सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देकर संवारने के लिए प्रयासरत है तो एक पार्टी जो धर्म संस्कृति पर प्रश्नचिह्न लगा सदैव इस सनातन संस्कृति का उपहास उड़ाने में रत है। इस चुनाव में देश चुनेगा कि वह उस पार्टी का साथ देता है जो हमें भारतवासी होने में गर्व महसूस करवाती है या उस पार्टी को जो हमें वोट बैंक के लिए जाति-पाति में बांटने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत का वोटर, भारत भाग्य विधाता किसे चुनता है इसका निर्णय तो 4 जून को ही होगा परंतु प्रत्येक देशभक्त आश्वस्त है कि पिछले 10 वर्षों में ऐतिहासिक फैसलों से भारत के विकास को जिस प्रगतिशील पटरी पर दौड़ाया है उसकी यात्रा थमेगी नहीं। यह राष्ट्र भक्तों के समर्पण और कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि इस चुनाव में राष्ट्रवादी ताकतों को हराने के लिए सभी विरोधी दलों, जो आपस में ईंट कुत्ते सा बैर रखते हैं, आलोचना करते नहीं थकते, उन्हें एक साथ एक मंच पर मन मसोस कर बैठना पड़ रहा है। उन्होंने अपनी पहचान को गौण कर केवल राष्ट्रवादी सोच को मिटाने हेतु एकजुट होकर चुनाव लड़ने का प्रयास किया है। विपक्षी दलों द्वारा देश में ध्रुवीकरण, तुष्टीकरण, मणिपुर जैसे मुद्दों को उठाकर वर्तमान सरकार एवं प्रधानमंत्री की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल करने का भरपूर प्रयास किया गया है। परंतु वह समझ नहीं पा रहे कि हिंदुत्व वर्तमान सरकार के लिए चुनाव का नहीं बल्कि आस्था का विषय है। लेकिन इनका लोगों की आस्था से क्या वास्ता? ये लोग भारत के जनमानस की भावनाओं, आस्था को समझने में इतने असफल हैं कि उन्होंने सदियों में पूरे हुए संकल्प, भारतीय संस्कृति के प्रतीक श्री राम जी की प्राण प्रतिष्ठा जैसे पावन उत्सव में भी शिरकत नहीं की। वर्तमान सरकार निसंदेह भारत की संस्कृति, इसकी विरासत एवं इसके आदर्शों के प्रति समर्पित है और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को पुनः गौरवान्वित करना इसका लक्ष्य है।

यह इन मूल्यों से जन्मी है और इनके प्रति आजीवन प्रतिबद्ध रहेगी। परंतु चुनावी रण में उसने विकास के नाम पर जो कीर्तिमान स्थापित किए हैं वह स्वयं भारत के लोकतंत्र में सशक्त नेतृत्व और सरकार का महिमा मंडन करने के लिए पर्याप्त है। देश की सुरक्षा एवं सम्मान वर्तमान सरकार के लिए सर्वोपरि है। यही कारण है कि पिछले 10 वर्षों में हमें आतंकी हमलों से निजात मिली और अगर किसी पड़ोसी देश ने हम पर बुरी नज़र डाली तो सक्षम भारत ने उसके घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की। दुनिया समझ गई है कि नया भारत किसी से डरने वाला नहीं है, किसी के इशारों पर नाचने वाला नहीं बल्कि वह भारत है जो यूक्रेन युद्ध जैसी विकट स्थितियों में भी अपने लोगों की सुरक्षा निडर होकर अपने दम पर करता है। आज भारत के प्रधानमंत्री को G-8, G-20, ब्रिक्स जैसे सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुख्य भूमिका में देखा जाता है। इजराइल-फिलिस्तीन जैसे युद्ध में दुनिया भारत की ओर आशा भरी नजरों से गुहार लगाती है।

 

भारत सरकार ने अपनी उत्तम कूटनीति का परिचय देते हुए यह साफ कर दिया है कि विश्व बंधुत्व को मानने वाले भारत के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है। अगर कोई विदेशी धरती पर भी हमारे तिरंगे का अपमान करे तो नया भारत जैसे को तैसा लौटाने में सक्षम है। वो भी ऐसे कि फिर वह देश खुद उसके लिए उचित प्रबंध करता है। प्रवासी भारतीय यह साफ देख सकते हैं और महसूस कर सकते हैं कि भारत के प्रति दुनिया का रवैया पिछले 10 वर्षों में कैसे परिवर्तित हुआ है। दुनिया के कितने देशों ने भारतीय प्रधानमंत्री को सर्वोच्च पुरस्कार से नवाजा है, यह भारत की बढ़ती लोकप्रियता एवं इसकी स्वीकार्यता का ही परिचायक है।

 

वर्तमान भारत सरकार, देश के सम्मान के साथ इसकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। जन-धन योजना के साथ उन्होंने बैंकिंग प्रणाली को अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया, इसलिए भारत की वित्तीय विकेंद्रीयकरण की दिशा में पहला कदम उठाया। देश की आधारभूत व्यवस्थाओं में मजबूती लाने हेतु भारत सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष बल दिया है। पहले 2014 में देश में 91287 किलोमीटर नैशनल हाईवे थे। पिछले 10 वर्षों में 146145 किलोमीटर नेशनल हाईवे बने हैं। पहले सेना को चीन सीमा तक पहुंचने में 7 दिन लगते थे, लेकिन सीमा के चारों ओर बनी सड़कों के कारण भारतीय सेना केवल 4 घंटे में पहुंच सकती है। पहले देश में 74 एयरपोर्ट थे, अब 148 हैं। पहले देश में 18452 गांव में बिजली नहीं थी, पिछले 10 सालों में हर गांव तक बिजली पहुंची है।

 

वर्तमान भारत सरकार सिर्फ वर्तमान नहीं भविष्य की जरूरतों के हिसाब से भी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रही है जो सतत विकास के अनुसार है। इसलिए ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के विकास पर इसकी खास नजर है। यही कारण है कि मिशन पीएम सोलर सूर्य उदय योजना के तहत 1 करोड़ घरों में सोलर पैनल इंस्टॉल किए जाएंगे। जो विपक्षी दल राम मंदिर की जगह अस्पताल एवं स्कूल बनाने का तंज करते हैं उन्हें प्रधानमंत्री से सीखना चाहिए कि कैसे संस्कृति और विज्ञान को साथ-साथ लेकर चला जा सकता है। आजादी के बाद के 70 सालों में पूरे देश में सिर्फ 7 एम्स बने थे, लेकिन वर्तमान सरकार के करीब 10 साल के कार्यकाल में देश में एम्स की संख्या बढ़कर 23 हो गई है। 2014 से पहले 16 आईआईटी थे, पिछले 10 वर्षों में 7 नए आईआईटी स्थापित किए गए एवं अब इनकी कुल संख्या 23 है। पहले 13 आईआईएम थे, 8 नए आईआईएम स्थापित किए गए हैं एवं कुल 21 हैं। पहले 740 विश्वविद्यालय थे, आज 1113 हैं। साथ ही युवाओं को शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास हेतु नेशनल स्किल डेवलपमेंट मिशन योजना लाई गई और 5.2 मिलियन (52 लाख) युवाओं को प्रशिक्षित किया गया। भारत सरकार ने समझा है कि संस्कृति को पल्लवित एवं पोषित करने वाली महिलाओं के विकास के बिना विकसित भारत का स्वप्न कभी सच नहीं हो सकता। इसलिए उन्होंने स्वच्छता अभियान के साथ 11 करोड़ इज्जत घर बनवाने का, उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ गैस सिलेंडर देकर महिलाओं के जीवन को सुगम बनाने का प्रयास किया, लखपति दीदी वर्तमान भारत सरकार की महिला विकास की गारंटी है। तीन तलाक को खत्म करके उन्होंने भारत माता की लाखों बेटियों की खुशियां सुरक्षित कीं। भारत सरकार स्वदेशी का महत्व जानती है, यही कारण है कि आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से उद्योगों में नए प्राण फूके हैं। पिछले 10 वर्षों में रक्षा आयात में कमी हुई है। भारत का निर्यात 317 बिलियन डॉलर से 776 बिलियन डॉलर बढ़ा है, जो कि 144% की विकास दर पर है। नौकरी मांगने वाले नहीं देने वाले बनें, ऐसी सोच के साथ युवाओं के लिए स्टार्टअप योजनाएं शुरू की गई हैं। कोविड-19 के प्रबंधन ने दिखा दिया कि सशक्त नेतृत्व हो तो सीमित संसाधनों में भी चमत्कार किया जा सकता है। जो भारत पहले एक भी PPE किट नहीं बनाता था, अब वह दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत ने ना सिर्फ अपने लोगों को वैक्सीन देकर बचाया बल्कि पड़ोसी देशों और दुनियाभर के अनेक देशों को भी वैक्सीन देकर मानवता का जीवंत उदाहरण पेश किया। पापुआ न्यू गिनी देश के प्रधानमंत्री ने जब धन्यवाद हेतु सबके समक्ष भारत के प्रधानमंत्री के चरण स्पर्श किए तो वह क्षण भारत के विश्वगुरु बनने की तरफ़ मील के पत्थर जैसा था। आर्थिक सामाजिक विकास के दायरों से बढ़कर है कि मौजूदा केंद्र सरकार भारतीयों को भारतीयता से पहचान करवा रही है। संगोल को भारतीय संसद में स्थापित करना हो या कोणार्क मंदिर या नालंदा को जी-20 सम्मेलन में दिखाना हो, रक्षा यानों पर ब्रिटिश क्रॉस हटाकर भारतीय ध्वज लगाना हो, वोकल फॉर लोकल का नारा हो, भारत सरकार हमें भारत, भारत की संस्कृति और विरासत पर गर्व की अनुभूति हेतु निरंतर प्रेरित कर रही है। यही कारण है कि आज दुनिया भर में ही नहीं बल्कि चंद्रमा और मंगल ग्रह भी भारत की प्रगति के गवाह बने हैं। वर्तमान केंद्र सरकार के तहत आपदा प्रबंधन ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। इसे न्यूनतम हताहतों के साथ गुजरात के बिपोरजॉय चक्रवात से देखा जा सकता है। जंक्शन सुरंग में फंसे मजदूरों का मामला दिखाता है कि प्रधानमंत्री प्रत्येक गरीब भारतीय के जीवन को कितना महत्व देते हैं। उत्तराखंड में सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे सभी 41 श्रमिकों को 17 दिनों के बाद सफलतापूर्वक बचाया गया। वह लोगों को बचाने के लिए दुनिया भर से बेहतरीन मशीनरी लेकर आए। जब एक मजदूर कहता है कि उन्हें पूरा विश्वास था कि उन्हें बचा लिया जाएगा क्योंकि प्रधानमंत्री विदेशी धरती पर भी अपने लोगों का ख्याल रखते हैं और वे अपने ही देश में फंस गए थे। वह उन्हें कैसे छोड़ सकता है! यह परिवर्तनकारी नेतृत्व को दर्शाता है। यह सब दर्शाता है कि कैसे एक मजबूत सरकार और प्रभावी नेतृत्व देश को प्रगति और समृद्धि की ओर ले जा सकता है। यह सब हम सभी की भागीदारी और सहयोग से ही संभव हो सकता है। इसलिए हमें देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के मूल्यों को समझने, उसका समर्थन करने और उस पर गर्व करने की जरूरत है।

 

-- डॉ. डेज़ी शर्मा , सहायक प्रोफेस, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर

Comments

Submitted by pratishthachoudhary on Fri, 06/07/2024 - 18:02

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Seeking for such an article having a very clear understanding through data, facts & figures.Thank u so much ma'am for writing this.

Submitted by kanishkaverma1205 on Fri, 06/07/2024 - 18:23

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Such an article is truly enlightening & thought- provoking. It provides a deep insight into the principles & importance of democracy in the society. Thanks a lot for writing this article ma'am.